सीएसआईआर ने मांगी तीन दवाओं के संयोजन के परीक्षण की अनुमति                                                                 

      

कोरोना वायरस से लड़ने में अपने प्रयासों के तहत वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कोविड-19 मरीजों पर तीन अलग-अलग दवाओं के संयोजन के तीसरे चरण के नियंत्रित चिकित्सीय परीक्षण की नियामक मंजूरी मांगी है। सीएसआईआर द्वारा यह परीक्षण हैदराबाद की लैक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मिलकर किया जाएगा।

इस पहल के अंतर्गत जिस दवा संयोजन का परीक्षण किया जाना है, उसमें फेविपिरावीर + कोलकिसिन, यूमिफेनोविर + कोलकिसिन और नेफामोस्टेट + 5-एएलए शामिल हैं। इस चिकित्सीय परीक्षण का उद्देश्य तर्कसंगत रूप से एंटीवायरल दवाओं के संयोजन का परीक्षण कोविड-19 रोगियों पर करना और दवा संयोजन के प्रभाव एवं सुरक्षा का आकलन करना है। सीएसआईआर द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।


इस चिकित्सीय परीक्षण का उद्देश्य तर्कसंगत रूप से एंटीवायरल दवाओं के संयोजन का परीक्षण कोविड-19 रोगियों पर करना और दवा संयोजन के प्रभाव एवं सुरक्षा का आकलन करना है।

म्यूकोविन नामक यह परीक्षण मेदांता मेडिसिटी के साथ साझेदारी में किया जाएगा। यह परीक्षण चार समूहों में कुल 300 रोगियों पर किया जाएगा और प्रत्येक समूह में 75 मरीज शामिल होंगे। परीक्षण 17 से 21 दिन के लिए किया जाएगा।

डॉ शेखर सी. मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर ने कहा है कि कोविड-19 के उपचार के लिए इस मिश्रित रणनीति में एंटी-वायरल एवं होस्ट डायरेक्टेड थेरैपी (एचडीटी) के साथ पूरक, एडिटिव और सिनर्जिस्टिक भूमिका वाली दवाओं का नये सिरे से उपयोग शामिल है। इससे चिकित्सीय विकल्पों को बढ़ाने और रोगियों को तेजी से ठीक करने में मदद मिल सकती है। इस चिकित्सीय परीक्षण में सीएसआईआर से संबद्ध इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, हैदराबाद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू शामिल हैं।

लैक्साई लाइफ साइंसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राम एस. उपाध्याय ने कहा है कि "इस अध्ययन का उद्देश्य वायरस के बढ़ने के लिए जरूरी वायरल प्रोटीन को लक्ष्य बनाना है। इसके साथ ही, इसमें यह भी अध्ययन किया जाएगा कि कौन से मेजबान कारक वायरल जीवन चक्र को प्रभावित करते हैं और साइटोकीन स्ट्रोम में योगदान करते हैं।”
इंडिया साइंस वायर

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