चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की मुहिम शुरू                                                                 

      

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत कार्यरत तिरुवनंतपुरम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) केरल सरकार के साथ मिलकर मेडिकल डिवाइसेस पार्क की स्थापना कर रहा है।

इस पहल से देश में चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन में न केवल तेजी आएगी, बल्कि बड़े पैमाने पर किफायती चिकित्सा उपकरण भी विकसित हो सकेंगे। स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन से जुड़ी यह पहल इन उपकरणों के आयात पर होने वाले भारी खर्च को कम करने और भारत को चिकित्सा-उपकरण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

तिरुवनंतपुरम के थोनक्कल स्थित केरल स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (केएसआईडीसी) के लाइफ साइंसेज पार्क में यह मेडिकल डिवाइसेस पार्क (मेडस्पार्क) स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन 24 सितंबर को मेडस्पार्क की आधारशिला रखेंगे। मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।

श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) डीएसटी के तहत कार्यरत एक राष्ट्रीय महत्व का स्वायत्त संस्थान है। एससीटीआईएमएसटी, केएसआईडीसी व केरल सरकार की यह संयुक्त पहल उद्योगों को चिकित्सा उपकरणों से जुड़े शोध एवं विकास, उत्पादन, परीक्षण, मूल्यांकन, प्रशिक्षण, नियामक विषयों से संबंधित समर्थन, स्टार्टअप कंपनियों के लिए इन्क्यूबेशन, प्रौद्योगिकी नवाचार और ज्ञान के प्रसार जैसी सेवाओं की पूरी श्रृंखला प्रदान करने पर केंद्रित है।

इन सेवाओं का उपयोग मेडस्पार्क के भीतर स्थित चिकित्सा उपकरण इकाइयों के अलावा भारत के अन्य हिस्सों में स्थित उद्योग भी कर सकेंगे। इससे छोटे और मध्यम आकार के चिकित्सा उपकरण उद्योगों को विशेष रूप से लाभ हो सकता है।


“ एक पहलू जो इस चिकित्सा उपकरण पार्क को देश में प्रस्तावित कुछ अन्य समान परियोजनाओं से अलग करेगा, वह यह है कि इस पार्क का फोकस उच्च जोखिम वाले चिकित्सा उपकरण क्षेत्र पर रहेगा, जिनमें चिकित्सीय प्रत्यारोपण के साथ-साथ शरीर के बाहरी हिस्सों से संबंधित चिकित्सा प्रक्रियाओं से जुड़े उपकरणों का निर्माण मुख्य रूप से शामिल है।"

डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा है कि “एक पहलू जो इस चिकित्सा उपकरण पार्क को देश में प्रस्तावित कुछ अन्य समान परियोजनाओं से अलग करेगा, वह यह है कि इस पार्क का फोकस उच्च जोखिम वाले चिकित्सा उपकरण क्षेत्र पर रहेगा, जिनमें चिकित्सीय प्रत्यारोपण के साथ-साथ शरीर के बाहरी हिस्सों से संबंधित चिकित्सा प्रक्रियाओं से जुड़े उपकरणों का निर्माण मुख्य रूप से शामिल है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में एससीटीआईएमएसटी ने महत्वपूर्ण रूप से अपनी छाप छोड़ी है।”

नीति आयोग के सदस्य और एससीटीआईएमएसटी के अध्यक्ष डॉ वी.के. सारस्वत ने कहा है कि “एससीटीआईएमएसटी ने पिछले 30 वर्षों से अधिक समय में जैव चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है और इस क्षेत्र में खुद को अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। यह पहल देश में जैव चिकित्सा उपकरण उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण से प्रेरित है।”

यह भी उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से करीब 1200 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिल सकता है। इसके साथ-साथ अन्य समर्थित उद्योगों के जरिये चार से पाँच हजार लोगों को रोगजार मिलने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।

एससीटीआईएमएसटी की निदेशक डॉ. आशा किशोर ने कहा है कि “यह पार्क केएसआईडीसी, केरल सरकार के साथ एक ज्ञान आधारित साझेदारी के जरिये डीएसटी के जैव चिकित्सा उपकरण कार्यक्रम से संबंधित तकनीकी अनुसंधान केंद्र के तहत स्थापित किया जा रहा है। ऐसा केंद्र सरकार और नीति आयोग के विभिन्न विभागों के समर्थन से संभव हो सका है।”

केरल में पहले से ही बड़ी संख्या में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र से संबंधित कंपनियां कार्य कर रही हैं, जिससे वहां एक पारिस्थितिक तंत्र बना हुआ है। इनमें से अधिकतर कंपनियां एससीटीआईएमएसटी से हस्तांतरित की गई तकनीकों के साथ काम कर रही हैं। वर्तमान में, केरल में कार्यरत चिकित्सा उपकरण कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर 750 करोड़ रुपये से अधिक है। मेडस्पार्क को उच्च जोखिम वाले चिकित्सा उपकरण निर्माण के क्षेत्र में राज्य के इस तंत्र का लाभ मिल सकता है और यह भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग स्थापित करने के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में विकसित हो सकता है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/22/09/2020

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