डॉ अमित आचार्य (बाएं) और संतोष सिवासुब्रामणि (दाएं)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ता अगली पीढ़ी के मैग्नेटिक क्वांटम डॉट सेलुलर ऑटोमेशन आधारित नैनो-मैग्नेटिक कंप्यूटिंग चिप विकसित कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि क्वांटम डॉट्स नैनोमीटर आकार के छोटे अर्धचालक कण होते हैं, जिनमें ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक गुण होते हैं। यह कंप्यूटिंग चिप डिजाइन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई पीढ़ी के उपकरणों के विकास में उपयोगी हो सकतीहै।
इसके साथ ही, शोधकर्ता बाइनरी योजक (Binary Adder), जो सभी तरह के डिजिटल लॉजिक सर्किट का एक प्रमुख घटक होता है, के उपयोग के लिए नैनो-मैग्नेटिक कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर की डिजाइन पद्धति भी विकसितकर रहे हैं। यहां बाइनरी योजक से तात्पर्य एक प्रकार के डिजिटल सर्किट से है, जिसका संबंध संख्याओं को जोड़ने से है।
क्वांटम डॉट्स नैनोमीटर आकार के छोटे अर्धचालक कण होते हैं, जिनमें ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक गुण होते हैं। यह कंप्यूटिंग चिप डिजाइन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई पीढ़ी के उपकरणों के विकास में उपयोगी हो सकती है।
परंपरागत रूप से, सूचना प्रसंस्करण में संपूरक धातु-आक्साइड-अर्धचालक (सीएमओएस) उपकरणों के लिए इलेक्ट्रॉनिक गतिविधि उपयोग की जाती है और मैग्नेटिक गतिविधि व्यापक रूप से डेटा भंडारण (हार्ड डिस्क) के लिए उपयोग होती है। हालांकि, पारंपरिक सीएमओएस उपकरण कंप्यूटिंग में आवश्यक लॉजिक अवस्था को बनाए रखने के लिए ऊर्जा (स्टैंडबाय पावर) की खपत अधिक करते हैं और इसे अस्थिर बनाते हैं।
अध्ययन का नेतृत्व कर रहे आईआईटी हैदराबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अमित आचार्य ने बताया कि “हमने लौह-चुम्बकीय (Ferromagnetic) आधारित क्षेत्र एवं त्वरित मैग्नेटिक क्वांटम डॉट सेलुलर ऑटोमेशन पर आधारितडिजाइन पद्धति पेश की है। यह पद्धति नैनो-मैग्नेटिक कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर जैसे - मल्टीप्लायर, फिल्टर इत्यादि के निर्माण में कारगर हो सकती है,जो कम ऊर्जा खपत वाले पोर्टेबल डिजाइन अनुप्रयोगों के अनुकूल हो सकते है।”
प्रमुख शोधकर्ता संतोष सिवासुब्रामणि ने बताया कि“कंप्यूटिंग और सूचना प्रसार के लिए द्विध्रुवीय युग्मित नैनो-मैग्नेट से लैस नई पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लॉजिक अवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पावर की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार मैग्नेटिक चिप डिजाइन सीएमओएस आधारित कंप्यूटिंग के लिए संभावित विकल्प के रूप में उभर रहा है।”
यह अध्ययन शोध पत्रिका नैनोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
इंडिया साइंस वायर
ISW/USM/07-08-2020