बंजर भूमि सुधार के लिए विशेषज्ञों ने सही रणनीति अपनाने पर दिया जोर                                                                 

      

बंजर भूमि और निम्नीकृत भूमि भी भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हमारी 40 प्रतिशत जनसंख्या बंजर (Wasteland) और निम्नीकृत (Degraded) भूमि पर आधारित है। बंजर और निम्नीकृत भूमि की बहाली के लिए प्रभावी नीतियों के निर्माण में लागत एवं लाभ आधारित विश्लेषण और वैज्ञानिक सूचना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये बातें ग्रामीण विकास मंत्रालय के भू-संसाधन विभाग में संयुक्त सचिव उमाकांत ने कही हैं। वह राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर द्वारा भूमि सुधार विशेषज्ञ डॉ अशोक एस. जुवारकर की स्मृति में ‘निम्नीकृत एवं बंजर भूमि के पुनरुद्धार’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।

इस वेबिनार के दौरान अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी ऐंड द एन्वायरमेंट, बेंगलुरु के निदेशक डॉ. नितिन पंडित ने कहा कि मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए हाल में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भारत ने अपनी भूमि के पुनरुद्धार का लक्ष्य विस्तृत करते हुए 26 मिलियन हेक्टेयर किया है, जो पहले 21 मिलियन हेक्टेयर था। उन्होंने पेरिस समझौते के अनुसार निम्नीकृत भूमि के पुनरुद्धार के जरिये 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को पृथक कर एक अतिरिक्त कार्बन हौज (सिंक) के निर्माण के बारे में भी बताया।

डॉ. पंडित कहा कि सभी बंजर भूमियों को निम्नीकृत भूमि नहीं माना जा सकता और इसीलिए बंजर भूमि की परिभाषा व इसके वर्गीकरण की रणनीति पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजीविका की दॄष्टि से निम्नीकृत भूमि सुधार करते समय सही स्थान का चयन आवश्यक है। ठोस जैविक अपशिष्ट (Bio-solid) जिनमें कार्बनिक पदार्थ और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा होते हैं, बंजर भूमि की बहाली के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। निम्नीकृत भूमियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्होंने नीरी द्वारा ठोस जैविक अपशिष्ट के प्रयोग संबंधी शोध करने का आग्रह भी किया है।


आजीविका की दॄष्टि से निम्नीकृत भूमि सुधार करते समय सही स्थान का चयन आवश्यक है। ठोस जैविक अपशिष्ट (Bio-solid) जिनमें कार्बनिक पदार्थ और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा होते हैं, बंजर भूमि की बहाली के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

राज्य सरकारों द्वारा किये गए कार्यों का उल्लेख करते हुए श्री उमाकांत ने बताया कि वर्ष 2014-15 से लगभग सात लाख जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया गया है और संरक्षित सिंचाई के तहत 14.55 हेक्टेयर का अतिरिक्त क्षेत्र लिया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में अब तक 23 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को बहाल कर दिया गया है।

उन्होंने निम्नीकृत एवं बंजर भूमि के मूल्यांकन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य मैट्रिक्स विकसित करने के लिए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के साथ मिलकर कार्य करने के लिए नीरी के वैज्ञानिकों से आग्रह किया है।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की घटक प्रयोगशाला नीरी के निदेशक डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि सीएसआईआर-नीरी भूमि पुनरुद्धार के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहा है। उन्होंने वर्तमान में इस क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों के बारे में भी बताया, जिसके कारण आजीविका प्रदान करना संभव हुआ है।
इंडिया साइंस वायर

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