“नवाचार के लिए ज्ञान से भी अधिक महत्वपूर्ण है कल्पनाशीलता”                                                                 

      

प्रोफेसर समीर के. ब्रह्मचारी

वाचार के लिए ज्ञान जरूरी है। पर, कल्पनाशीलता उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। किसी विचार को धरातल पर तभी उतारा जा सकता है, जब उसे कल्पना की कसौटी पर भी परखा गया हो। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर समीर के. ब्रह्मचारी ने ये बातें कही हैं। वह हाल में सीएसआईआर द्वारा आयोजित समर रिसर्च ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसआरटीपी) के अंतर्गत आयोजित एक ऑनलाइन व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे।

सीएसआईआर-एसआरटीपी के तहत आयोजित ‘पावर ऑफ इमेजिनेशन ऐंड नॉलेज इन वाट्सऐप ऐंड फेसबुक इरा’ विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने छात्रों एवं शोधकर्ताओं के सफल होने के लिए जरूरी विभिन्न आयामों को रेखांकित किया है। देश के जाने-माने वैज्ञानिक प्रोफेसर ब्रह्मचारी जे.सी. बोस नेशनल फेलो रहे हैं। इसके अलावा, वह सीएसआईआर-आईजीआईबी के संस्थापक निदेशक, ओपन सोर्स ड्रग डिस्कवरी के चीफ मेंटर, एकेडमी ऑफ साइंटिफिक ऐंड इनोवेटिव रिसर्च में प्रोफेसर और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।

प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने छात्रों एवं शोधकर्ताओं से कहा कि उन्हें उत्कृष्ट शिक्षकों, बुद्धिजीवियों के करीब रहकर उनसे संवाद करने से कभी हिचकना नहीं चाहिए। इसके साथ ही, एक अच्छे मेंटर का होना भी बेहद जरूरी है। प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने कहा कि विज्ञान जैसे विषय को सीमाओं से पार जाकर समझने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस दिशा में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को पढ़ना एवं उन्हें सुनना सीख लें तो मुश्किलें आसान हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का विश्लेषण, और फिर उन्हें सूचना एवं ज्ञान में परिवर्तित करना सीखना भी जरूरी है। इसी के साथ उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसे रटने के बजाय आत्मसात करने को महत्वपूर्ण बताया है।


‘पावर ऑफ इमेजिनेशन ऐंड नॉलेज इन वाट्सऐप ऐंड फेसबुक इरा’ विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने छात्रों एवं शोधकर्ताओं के सफल होने के लिए जरूरी विभिन्न आयामों को रेखांकित किया है। देश के जाने-माने वैज्ञानिक प्रोफेसर ब्रह्मचारी जे.सी. बोस नेशनल फेलो रहे हैं।

प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने छात्रों एवं शोधकर्ताओं से कहा कि उन्हें उत्कृष्ट शिक्षकों, बुद्धिजीवियों के करीब रहकर उनसे संवाद करने से कभी हिचकना नहीं चाहिए। इसके साथ ही, एक अच्छे मेंटर का होना भी बेहद जरूरी है। प्रोफेसर ब्रह्मचारी ने कहा कि विज्ञान जैसे विषय को सीमाओं से पार जाकर समझने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस दिशा में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को पढ़ना एवं उन्हें सुनना सीख लें तो मुश्किलें आसान हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का विश्लेषण, और फिर उन्हें सूचना एवं ज्ञान में परिवर्तित करना सीखना भी जरूरी है। इसी के साथ उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसे रटने के बजाय आत्मसात करने को महत्वपूर्ण बताया है।

उन्होंने इंटेलिजेंस क्वोशन्ट (आईक्यू) में सुधार के साथ-साथ इमोशनल क्वोशन्ट (ईक्यू), सोशल क्वोशन्ट (एसक्यू) और एडवर्सिटी क्वोशन्ट (एक्यू) पर ध्यान केंद्रित करने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सहानुभूति, समानुभूति और करुणा हमारे जीवन के अहम अंग हैं। सहानुभूति सिर्फ विचारों तक सीमित है; समानुभूति में विचार और भावनाएं दोनों हैं; जबकि करुणा में विचार एवं भावना के साथ प्रतिक्रिया भी शामिल है।

सीएसआईआर-एसआरटीपी का संयोजन असम के जोरहाट में स्थित नॉर्थ ईस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (एनईआईएसटी) द्वारा किया जा रहा है। एनईआईएसटी के निदेशक डॉ. जी. नरहरि शास्त्री ने बताया कि “कोविड -19 के कारण शुरू किए गए लॉकडाउन के दौरान इस ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम की रूपरेखा बनी थी। महामारी के कारण शिक्षा क्षेत्र की शून्यता को समाप्त करने और छात्रों में रचनात्मक भावना को उभारने के लिए सीएसआईआर द्वारा यह कार्यक्रम शुरू किया गया है।”
इंडिया साइंस वायर

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