अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-1 (ईओएस-1) का सफल प्रक्षेपण                                                                 

      

इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। इसरो ने शनिवार 7 नवंबर को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से रडार इमेजिंग उपग्रह ‘अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-1’ (ईओएस-1) का सफल प्रक्षेपण किया। इसे सफलतापूर्वक मूर्त रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

भारत के लिए ऐसे उन्नत उपग्रह की आवश्यकता लम्बे समय से थी। यह रीसैट-RISAT-2बीआर2 सैटेलाइट है, जिसका नाम बदलकर ईओएस-1 रखा गया है। कृत्रिम उपग्रहों में उपयोग होने वाले उपकरणों की आयु आमतौर पर 5 वर्ष से 8 वर्ष तक होती है। इस लम्बी अवधि में तकनीकें और विकसित हो चुकी होती हैं। ऐसे में,नयी पीढ़ी के उपग्रहों का आना अनिवार्य हो गया जाता है। ईओएस-1 एक ऐसी ही उन्नत तकनीक और उच्च रेजोल्यूशन के चित्र उतारने वाला आधुनिक उपग्रह है। इसके कक्षा में स्थापित होने से भारत की विभिन्न सामरिक, भौगोलिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं के आकलन एवं प्रबंधन के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने में मदद मिलेगी। यह उपग्रह किसी भी मौसम में किसी भी समय भारत के हर हिस्से को न सिर्फ देख सकता है, बल्कि उसकी उच्च रेजोल्यूशन की तस्वीरें भी उतार सकता है।


इसरो ने पीएसएलवी-सी49 रॉकेट से ईओएस-1 के साथ 9 विदेशी उपग्रह भी प्रक्षेपित किए। रडार इमेजिंग सैटेलाइट वास्तव में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस सैटेलाइट का सिंथेटिक अपर्चर रडार बादलों के पार भी देख सकता है।

इसरो ने पीएसएलवी-सी49 रॉकेट से ईओएस-1 के साथ 9 विदेशी उपग्रह भी प्रक्षेपित किए। रडार इमेजिंग सैटेलाइट वास्तव में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस सैटेलाइट का सिंथेटिक अपर्चर रडार बादलों के पार भी देख सकता है। इस दृष्टि से, इस सैटेलाइट को भारत की नई आंखें भी कहा जा सकता है। यह सैटेलाइट सामरिक निगरानी के अलावा कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान, तटीय निगरानी और बाढ़ जैसी आपदाओं जैसे क्षेत्रों में भी उपयोगी सिद्ध होगा।

इस अवसर पर प्रक्षेपित किए गए अन्य विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष विभाग के न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ वाणिज्यिक समझौते के अंतर्गत प्रक्षेपित किया गया है। यह इसरो के वाणिज्यिक हितों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह इसरो का 51वां प्रक्षेपण अभियान था।अब तक इसरो द्वारा 328 विदेशी सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जा चुके हैं। 2019 में प्रक्षेपित ‘चंद्रयान-2’के बाद एक वर्ष की छोटी अवधि में यह इसरो का चौथा मिशन था।चंद्रयान-2 को इसरो ने22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया था। इससे पहले इसरो ने 27 नवम्बर 2019 को कैट्रोसैट-3 और11 दिसंबर 2019 को रीसैट RISAT-2बीआर1, पीएसएलवी सी-48 के द्वारा प्रक्षेपित किया था। 17 जनवरी 2020 को जीसैट-30 संचार उपग्रह को एरियन -5 वीए -251 पर प्रक्षेपित किया गया था। यह प्रक्षेपण फ्रेंच गुयाना से किया गया था।


इंडिया साइंस वायर

ISW/RM/09/11/2020

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