प्रयोगशाला से जमीनी स्तर तक पहुंचे शोध कार्यों का दायरा: प्रधानमंत्री                                                                 

भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 105 वां सत्र मणिपुर की राजधानी में शुरू हुआ, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,'विकास के लिए शोध' के रूप में अनुसंधान और विकास को फिर से परिभाषित करने के लिए समय आ गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से अनेक जटिल समस्याओं को हल करने में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों का समन्वय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस बात को उन्होंने कृषि मौसम पूर्वानुमान सेवाओं का उदाहरण देकर समझाया। मौसम की सटिक जानकारी कृषि सहित अनेक क्षेत्रों में लाभदायक साबित हो रही है।

उन्होंने वैज्ञानिकों से सामाजिक आर्थिक समस्याओं का समाधान करने की अपील करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के द्वारा समाज के समक्ष उत्पन्न होने वाली नई चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने को कहा जिससे समाज के गरीब और वंचित वर्ग को भी विकास का लाभ मिल सके। 

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों को एक वर्ष में सौ घंटे विद्यार्थियों के साथ बिताना चाहिए और उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व से अवगत कराते हुए समग्र विकास में विज्ञान की भूमिका से अवगत कराना चाहिए। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भी समाज में प्रसार होगा जिससे जनमानस में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का समग्र उपयोग जीवन स्तर में सुधार का माध्यम बनेगा।

" प्रधानमंत्री ने ​वैज्ञानिकों से अपने शोध कार्यों को प्रयोगशाला से जमीनी स्तर तक पहुंचाने का आह्वन किया। उन्होंने आबादी के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां के समाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग की आशा व्यक्त की।"

प्रधानमंत्री ने 105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के केन्द्रीय विषय "विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र तक पहुंच बनाना" की सराहना करते हुए कहा कि अनेक ऐसे लोग हैं जो इसी उद्देश्य के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने 2018 में पद्म श्री से सम्मानित मदुरई के प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन का उदाहरण दिया, जिन्होंने सड़क के निर्माण में प्लास्टिक की बर्बादी का पुन: उपयोग करने के लिए एक अभिनव विधि विकसित और उसे पेटेंट कराया। इस पद्धति का उपयोग करते हुए सड़कों को अधिक टिकाऊ बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह तकनीक पहले से ही 11 राज्यों में 5000 किलोमीटर से अधिक सड़कों के निर्माण लिए इस्तेमाल की जा रही है।

इसी तरह, उन्होंने प्रसिद्ध विज्ञान खिलोने निर्माता एवं 2018 में पद्म श्री से सम्मानित अरविंद गुप्ता का जिक्र किया जो छात्रों को नवाचारी तरीके से खिलोनों के माध्यम से विज्ञान में प्रेरित कर कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने ​वैज्ञानिकों से अपने शोध कार्यों को प्रयोगशाला से जमीनी स्तर तक पहुंचाने का आह्वन किया। उन्होंने आबादी के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाली सामाजिक- आर्थिक चुनौतियां के समाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग की आशा व्यक्त की। भारत को साफ, हरा और समृद्ध बनाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कुपोषण से मुक्ति, घरों के निर्माण, नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में अभिनव प्रौद्योगिकीयों के उपयोग पर जोर देने को कहा।

प्रधानमंत्री ने विज्ञान के क्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यों में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना करते हुए जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। नवाचार कार्यक्रमों एवं अंतर्राष्ट्रीय सौलर गठबंधन में भारत की भूमिका के साथ ही परंपरागत ज्ञान विशेषकर उत्तर-पूर्वी राज्यों के संबंध में, के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए शोध केंद्र की स्थापना पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने इसके लिए उत्तर- पूर्वी राज्यों में "एथनो मेडिसिनल रिसर्च सेंटर" की स्थापना की बात कही।

उत्तर-पूर्वी राज्यों में राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र की स्थापना को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने की बात भी कही। सरकार द्वारा 'बांस' को वृक्ष प्रजातियों के अलग करके इसे "घास" के रूप में वर्गीकृत करके दशकों पुराने नियम में बदल कर इसके उत्पादन में वृद्धि की आशा की। राष्ट्रीय बांस मिशन के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों से उत्तर-पूर्वी राज्यों को हो रहे लाभ का भी जिक्र प्रधानमंत्री ने किया।

केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने भारतीय विज्ञान संस्थानों के उन्नत प्रदर्शन का जिक्र करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को देश के समाजिक एवं आर्थिक विकास की धुरी बनाने की बात कही। उन्होंने वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी के साथ ही सामाजिक-पर्यावरणीय जिम्मेदारी की बात कही जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को हल में ​सभी योगदान दे सकें। (India Science Wire)