प्राइड ऑफ इंडिया एक्स्पो में दिखी देश की वैज्ञानिक क्षमता की झलक                                                                 

णिपुर में 20 मार्च को खत्म हुई 105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान प्राइड ऑफ इंडिया एक्स्पो सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। यह एक्स्पो विज्ञान कांग्रेस का एक अहम अंग है। मणिपुर विश्वविद्यालय में विज्ञान कांग्रेस 16 मार्च को शुरू हुई थी, जिसमें देश भर की प्रयोगशालाओं में हो रहे शोध एवं वैज्ञानिक संस्थानों की उपलब्धियों को देखने के लिए अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों के अलावा आसपास के क्षेत्रों के लोगों का जमघट लगा था।

इस एक्स्पो में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को बेस्ट पैवेलियन का अवार्ड मिला है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पैवेलियन में इस क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को दर्शाया गया था। करीब 18000 वर्गमीटर क्षेत्र में लगी इस प्रदर्शनी में 150 से अधिक संस्थान शामिल थे। इसमें इसरो, परमाणु ऊर्जा विभाग, सीएसआईआर, आईसीएआर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और आईसीएमआर जैसे संस्थान प्रमुख हैं।

यह प्रदर्शनी नए विचारों और नवोन्मेषी उत्पादों का केंद्र बनी हुई थी। इसमें विज्ञान शिक्षा, अंतरिक्ष विज्ञान, लाइफ सांइसेज, हेल्थकेयर, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, ऊर्जा, पर्यावरण, ढांचागत संसाधनों का निर्माण, ऑटोमोबाइल और आईसीटी में विज्ञान की भूमिका को खासतौर पर दर्शाया गया था।

यह प्रदर्शनी देश भर के छात्रों, शोधार्थियों, वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को एक मंच भी प्रदान करती है, जिससे सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक रोडमैप तैयार करने में मदद मिल सकती है।

" करीब 18000 वर्गमीटर क्षेत्र में लगी इस प्रदर्शनी में 150 से अधिक संस्थान शामिल थे। इसमें इसरो, परमाणु ऊर्जा विभाग, सीएसआईआर, आईसीएआर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और आईसीएमआर जैसे संस्थान प्रमुख हैं। "

इस बार के एक्स्पो का एक खास आकर्षण विज्ञान कांग्रेस परिसर में स्थापित विज्ञान ज्योत भी थी, जिसका आयोजन विज्ञान को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने और करियर के रूप में इसे अपनाने के लिए उन्हें प्रेरित करने के लिए किया गया है। 14 मार्च को इसे मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

विज्ञान कांग्रेस के दौरान विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए एक वैज्ञानिक चर्चाएं चल रही थीं, तो दूसरी ओर प्राइड ऑफ इंडिया एक्सपो में ऊर्जा संरक्षण से लेकर कृषि कार्यों से जुड़े स्कूली बच्चों के बनाए हुए मॉडल्स भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इन मॉडल्स को देखने के लिए हर रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे थे, जिनमें सबसे अधिक संख्या स्कूली छात्रों की थी।

मणिपुर के चुराचुनपुर में स्थित सेंट मैरी हायर सेकेंडरी स्कूल की 10वीं की छात्रा फ्लोरेंस ने एक ऐसी मशीन का मॉडल बनाया है, जो खादान्नों के छोटे-बड़े बीजों और पत्थरों को अलग करने में मददगार हो सकती है। फ्लोरेंस ने बताया कि “इस मशीन के संचालन के लिए सोलर पैनल को रिचार्जेबल बैटरी से जोड़ा गया है, जिससे मोटर संचालित होती है। मोटर पुल्ली को घुमाती है तो उससे जुड़े छिद्रयुक्त सिलेंडर से छनकर अलग-अलग आकार के बीज बाहर आने लगते हैं। सोलर पैनल के अलावा इस मशीन को वाटर टरबाइन की मदद से भी चलाया जा सकता है, जिससे इसके संचालन के लिए डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती। यह मशीन पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ कृषि कार्यों में किसानों की मददगार भी हो सकती है।”

प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र जॉन-17 नामक रोबोट था, जिसे इंफाल के जॉनस्टोन हायर सेकेंडरी स्कूल के 11वीं के छात्र थियम नंदलाल सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ की मदद से बनाया है। इसका संचालन हाइड्रोलिक ऊर्जा से होता है और पानी से भरे सीरिंज इसे नियंत्रित करते हैं। नंदलाल के मुताबिक “यह रोबोट घरेलू कामकाज में सहायक की भूमिका निभा सकता है। इसका निर्माण पास्कल के वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार यदि किसी बंद तरल पदार्थ पर बाहर से दाब लगाया जाए, तो वह दाब तरल में सभी दिशाओं में संचरित होता है। इसी आधार पर यांत्रिक गतिविधि के लिए इस सिद्धांत का उपयोग किया गया है।”

नंदलाल की वाइस-प्रिंसिपल ए. संगीता देवी और टीचर बाबू सिंह अपने छात्र की इस उपलब्धि से बेहद उत्साहित थे। संगीता देवी ने कहा कि छात्रों को अगर सही मार्गदर्शन और सहयोग मिले तो वे इस तरह के कई अनूठे प्रयोग करने में सफल हो सकते हैं।

इंफाल के डी.एम. कॉलेज ऑफ साइंस के छात्रों ने भी सेंसर युक्त सौर ऊर्जा से संचालित स्मार्ट स्ट्रीट का मॉडल पेश किया है। इसे डी.एम. कॉलेज के छात्रों की टीम ने मिलकर तैयार किया है। इस टीम में शामिल लोटोन्गबैम सत्यभामा ने बताया कि “हमने अपने मॉडल में सौर ऊर्जा से चलने वाली सेंसर युक्त स्ट्रीट लाइटों को दर्शाया है। इसमें डार्क सेंसर और प्रॉक्सिमिटी सेंसर का उपयोग किया गया है। इससे स्ट्रीट लाइट के लिए हरित ऊर्जा मिल जाती है, जबकि सेंसर लगे होने के कारण लाइट तभी जलती है, जब सड़क से ट्रैफिक गुजर रहा हो। इससे ऊर्जा संरक्षण मंं मदद मिल सकती है।” डी.एम. कॉलेज ऑफ साइंस के छात्रों ने एलपीजी लीकेज आलार्म और जमीन में नमी का पता लगाने के लिए एक तंत्र भी विकसित किया है।

प्रदर्शनी में आए छात्र एक ही छत के नीचे आईटी, चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, पुरातत्व विज्ञान, जीव विज्ञान और पादप विज्ञान समेत विज्ञान की विभिन्न शाखाओं से जुड़े प्रयोगों को देखकर उत्साहित थे। अपने सहपाठी लैन्चेंपा न्गैंगॉम के साथ प्रदर्शनी में आए एनआईटी मणिपुर के छात्र वहेन्गबैम रतन कहते हैं कि “मणिपुर में इससे पहले इतना बड़ा एक्सपो उन्होंने कभी नहीं देखा है।” लैन्चेंपा तो इस प्रदर्शनी को देखकर इतने प्रोत्साहित हुए कि उन्होंने भविष्य में वैज्ञानिक बनने का मन बना लिया है। (India Science Wire)