उमिफेनोविर के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए सीएसआईआर प्रयोगशाला को मंजूरी                                                                 

      

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) को एंटी-वायरल दवा उमिफेनोविर के तीसरे चरण के चिकित्सीय परीक्षण के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी मिलने के बाद भारतीय रोगियों पर इस दवा का परीक्षण किया जा सकेगा।

सीडीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि डीसीजीआई की मंजूरी मिलने के बाद अब इस दवा के प्रभाव, सुरक्षा और सहनशीलता के आकलन के लिए रेंडम, डबल ब्लाइंडेड, प्लेसबो नियंत्रित चिकित्सीय परीक्षण किए जा सकेंगे। सीडीआरआई द्वारा ये परीक्षण लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआईएमएस) और एराज लखनऊ मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में किया जाएगा।

मानव कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोकने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके यह दवा कार्य करती है और इसके उपयोग को सुरक्षित पाया गया है। चीन और रूस में उमिफेनोविर का उपयोग मुख्य रूप से इन्फ्लुएंजा के इलाज के लिए किया जाता है एवं अन्य किसी देश में यह उपलब्ध नहीं है। हाल ही में कोविड-19 के रोगियों के उपचार के लिए इस दवा के संभावित उपयोग को चिह्नित किया गया है।

भारतीय रोगियों में इस दवा के प्रभाव के मूल्यांकन के लिए चिकित्सीय परीक्षण की अनुमति मिलने के साथ ही सीडीआरआई ने बेहद कम समय में उमिफेनोविर के निर्माण के लिए प्रक्रिया विकसित की है। दवा के निर्माण और विपणन के लिए संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी मेडिजेस्ट फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, गोवा को हस्तांतरित की गई है, जिन्होंने पहले ही इसके लिए डीसीजीआई से टेस्ट लाइसेंस प्राप्त कर लिया है।


दवा के लिए सभी सक्रिय औषध तत्व स्वदेशी रूप से उपलब्ध हैं और चिकित्सीय परीक्षण सफल होता है तो उमिफेनोविर कोविड-19 के खिलाफ एक सुरक्षित, प्रभावकारी, सस्ती दवा के रूप में उभर सकती है

सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडू ने कहा है कि दवा के लिए सभी सक्रिय औषध तत्व स्वदेशी रूप से उपलब्ध हैं और चिकित्सीय परीक्षण सफल होता है तो उमिफेनोविर कोविड-19 के खिलाफ एक सुरक्षित, प्रभावकारी, सस्ती दवा के रूप में उभर सकती है और राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा हो सकती है। प्रोफेसर कुंडू ने यह भी कहा कि इस दवा की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी देखी गई है।

कोविड-19 के लिए डीसीजीआई ने उच्च प्राथमिकता के आधार पर इस आवेदन को संसाधित किया है। परीक्षण के अगले चरणों को तेजी से ट्रैक किया जा रहा है ताकि जल्दी से जल्दी भारतीय मरीजों को यह दवा उपलब्ध हो सके।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा है कि यह चिकित्सीय परीक्षण कोविड-19 के लिए दवाओं के पुन: उपयोग की सीएसआईआर रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा है। उन्होने सीडीआरआई के युवा वैज्ञानिकों डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव, चंद्रभूषण त्रिपाठी, नयन घोष और नीलांजना मजुमदार की टीम एवं इस परियोजना के नोडल वैज्ञानिक डॉ. रविशंकर रामचंद्रन के प्रयासों को भी सराहा है।

ड्रग का फॉर्मूलेशन एवं दस्तावेजीकरण करने वाली टीम में डॉ पी.आर. मिश्रा, विवेक भोसले, आर.के. त्रिपाठी, एस.के. रथ और शरद शर्मा शामिल हैं।
इंडिया साइंस वायर

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