जम्मू-कश्मीर में कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए अपार संभावनाएं: डॉ जितेंद्र सिंह                                                                 

      

म्मू-कश्मीर की भौगोलिक परिस्थितियां और जलवायु औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती के लिए अनुकूल हैं। इसीलिए, यहाँ कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। श्रीनगर में बुधवार को स्टार्टअप केंद्रित कश्मीर-एक्स्पो का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की पहल पर 09 से 11 नवंबर तक चलने वाली यह तीन दिवसीय प्रदर्शनी शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय में आयोजित की गई है। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उर्दू और कश्मीरी में सात पुस्तकें और दो मासिक विज्ञान न्यूजलेटर्स - कश्मीरी में ‘गाश’ और उर्दू में ‘तज्जसुस’ का विमोचन भी किया गया।

कश्मीर-एक्स्पो का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को स्टार्टअप की ओर आकर्षित करना है, जिससे जम्मू-कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों में उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के अवसरों को बढ़ावा मिल सके। इस आयोजन के माध्यम से स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर आधारित स्टार्टअप उद्यमों और नवोन्मेषी युवाओं की क्षमता निर्माण के लिए प्रभावी मंच उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।

इस दौरान 50 स्टार्टअप्स अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन कर हैं, जिससे क्षेत्र के युवाओं को संसाधनों के कुशलतम उपयोग के लिए प्रेरित किया जा सके, और उनकी व्यक्तिगत क्षमता निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनके प्रभावी योगदान को सुनिश्चित किया जा सके। प्रदर्शित की जा रही स्टार्टअप/आजीविका परियोजनाओं में जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ आसपास के राज्यों और देश के अन्य हिस्सों से आये लोग शामिल हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कश्मीर के लिए नवाचारों और स्टार्टअप्स में अधिक अवसर पैदा करने पर जोर दिया है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में प्रतिभा और संसाधन हैं, लेकिन समय की आवश्यकता है कि इन संसाधनों का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाए ताकि उनके जीवन को सुविधाजनक और आसान बनाया जा सके।


रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सोनार प्रणालियों के लिए नई अत्याधुनिक परीक्षण और मूल्यांकन सुविधा विकसित की है। ‘हल मॉड्यूल ऑफ सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म फॉर अकूस्टिक कैरेक्टराइजेशन ऐंड इवैलुएशन (स्पेस) नामक यह सुविधा जहाजों, पनडुब्बियों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर नौसेना के उपयोग के लिए विकसित की गई सोनार प्रणालियों के परीक्षण एवं मूल्यांकन में अपनी भूमिका निभाएगी।


डॉ सिंह ने कहा, जैव-अर्थव्यवस्था राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। बहुत सारी प्रतिभाएँ आउटलेट खोज रही हैं, और कश्मीर एक्स्पो उन्हें वह आउटलेट प्रदान करने का अवसर लेकर आया है। युवाओं को अपनी प्रतिभा का उपयोग करना चाहिए और ऐसे अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि कश्मीर कैसे कृषि स्टार्टअप्स का केंद्र बन सकता है, और भारत सरकार स्थायी आजीविका के लिए स्थायी स्टार्टअप बनाने के लिए किस प्रकार पहल कर रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य युवाओं का है, और यह उन पर निर्भर है कि वे अपने भविष्य को और अधिक उत्पादक बनाएं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने भविष्य के दृष्टिकोण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय दिया, जिन्होंने 2015 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया का आह्वान किया था, जिससे लोगों की अभिरुचि बढ़ी, और भारत में स्टार्टअप्स की संख्या, जो 2014 में केवल 350 थी, वह 2022 में बढ़कर 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ 80 हजार के पार पहुँच चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स की स्थापना के लिए डीबीटी और सीएसआईआर के माध्यम से पूर्ण सहयोग देने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर ने बताया कि कैसे इन स्टार्टअप्स को उनके नवाचारों के विपणन और रोजगार पैदा करने के लिए समर्थन दिया जाएगा। उन्होंने अपने क्षितिज का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि उनके उत्पाद क्षेत्र के बाहर पहुँच सकें।

कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूक अहमद शाह ने पुस्तकों और समाचार पत्रों के प्रकाशन से संबंधित प्रयासों की सराहना की और आशा व्यक्त की है कि उर्दू और कश्मीरी में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए इस तरह के उपयोगी तथा दिलचस्प संसाधन बढ़ेंगे।

विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने न्यूजलेटर ‘गाश’ एवं ‘तज्जसुस’ सहित कश्मीरी और उर्दू में अन्य प्रकाशनों के माध्यम से कश्मीरी और उर्दू बोलने वाली आबादी तक पहुँचने के लिए स्कोप (SCoPE) परियोजना सचिवालय के प्रयासों को सराहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की विज्ञान आधारित सामग्री को अधिक विकसित किया जाएगा, और उसे आम जनता के लिए सुलभ बनाया जाएगा, जिससे समाज को हर तरह से लाभ होगा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड की प्रमुख एवं सलाहकार डॉ अनीता गुप्ता ने कहा है कि कश्मीर-एक्स्पो स्थानीय स्टार्टअप्स के उद्यमीय कौशल, अभिनव उत्पादों और नवाचारों को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचाने में भूमिका निभाएगा। डॉ गुप्ता ने कहा कि इस प्रदर्शनी में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई है।

इस अवसर पर, सौरभ भगत, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, जम्मू-कश्मीर; डॉ डी. श्रीनिवास रेड्डी, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईआईएम, जम्मू; और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति, नव-प्रवर्तनकर्ता और उद्यमी, शोधार्थी और छात्र उपस्थित थे।


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