"नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि हो युवा वैज्ञानिकों का मूलमंत्र"                                                                 

      

‘युवा वैज्ञानिकों का आदर्श वाक्य – नवाचार, पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि होना चाहिए।’ केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है। बेंगलुरु में दूसरे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) युवा वैज्ञानिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि ‘नवाचार, पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि’ का चार सूत्रीय मूलमंत्र एससीओ देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाने में सक्षम है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने एससीओ के युवा वैज्ञानिकों से विशेष अनुरोध किया है कि विश्व और मानव कल्याण के लिए, वे आगे आएं और आम सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए साथ मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि एससीओ के युवा वैज्ञानिकों के बीच चर्चा और विचार-विमर्श से नया दृष्टिकोण मिलेगा, जिससे वे इन चुनौतियों के समाधान के लिए नया रोडमैप प्रस्तुत करने में सक्षम होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की 19वीं बैठक में परस्पर सहयोग के लिए ‘HEALTH’ का मंत्र दिया था, जिसके व्यापक निहितार्थ हैं। ‘HEALTH’ व्यापक उद्देश्यों को समाहित करने के लिए गढ़ा गया संक्षिप्त रूप है। इसमें, हेल्थ सर्विस पर सहयोग के लिए 'एच', इकोनॉमिक सहयोग के लिए 'ई', वैकल्पिक (Alternate) ऊर्जा के लिए 'ए', लिटरेचर एवं कल्चर के लिए 'एल', टेरेरिज्म मुक्त समाज के लिए 'टी', और मानवीय (Humanitarian) सहयोग के लिए 'एच' को शामिल किया गया है।


‘युवा वैज्ञानिकों का आदर्श वाक्य – नवाचार, पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि होना चाहिए।’ केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है। बेंगलुरु में दूसरे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) युवा वैज्ञानिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि ‘नवाचार, पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि’ का चार सूत्रीय मूलमंत्र एससीओ देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाने में सक्षम है।


उन्होंने कहा कि एससीओ मध्य और दक्षिण एशिया की रंग-बिरंगी और विशिष्ट संस्कृतियों को एक साथ लाता है और आपसी सहायता और टीम भावना को बढ़ावा देता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एससीओ देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 42% हिस्सा रहता है, इसका भूमि क्षेत्र 22% है, और यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% का योगदान देता है। उन्होंने कहा कि एससीओ देशों की बड़ी संख्या में युवा आबादी यहाँ का एक प्रमुख जनसांख्यिकीय लाभ है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने खाद्य सुरक्षा को एससीओ अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र बताया, क्योंकि यह तीन अरब से अधिक लोगों की संयुक्त आबादी के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में सुधार के लिए पूर्व-उत्पादन चरण से लेकर उत्पादन के बाद और विपणन तक कृषि मूल्य श्रृंखला में गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में एससीओ की वैज्ञानिक प्रतिभाओं का लाभ उठाना निश्चित रूप से उपयोगी होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्यावरणीय क्षरण लंबे समय से एससीओ, विशेष रूप से मध्य एशियाई क्षेत्र में चिंता का कारण रहा है। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों के संदर्भ में "प्राकृतिक पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता का संरक्षण" बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ सिंह ने कहा, प्रत्येक व्यक्ति को सुलभ, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करना वर्ष 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास एजेंडा के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। उन्होंने कहा, “हमें ऊर्जा नवाचारों के क्षेत्र में अपने विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। हमें ऊर्जा के रूपांतरण की प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ और अत्यधिक कुशल उपयोग सहित ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न स्वच्छ तथा निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के विकास एवं उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।”

डॉ सिंह ने यह कहा, “एआई, डेटा एनालिटिक्स जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां; स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, औद्योगिक क्षेत्र सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में शामिल हो रही हैं, और लगभग सभी क्षेत्रों में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रही हैं। प्रतिस्पर्धी बने रहने, सामाजिक प्रगति को चलायमान रखने, रोजगार पैदा करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जीवन की समग्र गुणवत्ता एवं पर्यावरण की स्थिरता में सुधार के लिए सरकारों और उद्योगों को इन उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए तैयार रहना अनिवार्य हो गया है। स्टार्ट-अप्स और उद्यमिता के लिए इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।” उन्होंने, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप फोरम और इनोवेशन प्रतियोगिता आयोजित करने की बात भी कही है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/SCO-CONCLAVE/HIN/07/02/2022