कोरोना से लड़ने में मददगार एनसीएल समर्थित स्टार्ट-अप नवाचार                                                                 

      

प्रोटोटाइप परीक्षण के दौरान मेडिकल सेंटर में मरीज के श्वास मास्क से जुड़ी ओईयू मशीन

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की पुणे स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) पिछले करीब एक दशक से अपने वेंचर सेंटर के जरिये नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है। इस सेंटर द्वारा समर्थित स्टार्ट-अप कंपनियों ने दो ऐसे नये उत्पाद बनाए हैं, जो कोरोना से लड़ने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। ये दोनों नवाचार - ऑक्सीजन संवर्धन यूनिट (ओईयू) और डिजिटल आईआर थर्मोमीटर हैं, जिन्हें कोरोना के खिलाफ प्रभावी उपकरण माना जा रहा है।

एनसीएल के वेंचर सेंटर द्वारा समर्थित पुणे की स्टार्ट-अप कंपनी बीएमईके के शोधकर्ताओं ने यह डिजिटल आईआर थर्मोमीटर विकसित किया है। इस थर्मोमीटर को मोबाइल फोन अथवा पावर बैंक की मदद से संचालित किया जा सकता है। आईआर थर्मोमीटर का डिजाइन और इसकी तकनीक की जानकारी ओपन सोर्स में मौजूद है और भारतीय कंपनियां इस निशुल्क तकनीक के उपयोग से आईआर थर्मोमीटर बना सकती हैं। एनसीएल ने यह पहल थर्मोमीटर का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से की है, ताकि कोविड-19 के खिलाफ छिड़ी जंग में थर्मोमीटर की माँग को पूरा किया जा सके।

बीएमईके के सह-संस्थापक, प्रतीक कुलकर्णी ने कहा है कि "हम डिजाइन को सरल बनाने और इसे सभी के साथ साझा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि निर्माताओं को इस थर्मोमीटर को विकसित करने के लिए अधिक शोध एवं विकास पर समय गंवाने की जरूरत न पड़े।"


“ इस यूनिट की मदद से आसपास की हवा को कंप्रेसर के जरिये पॉलिमरिक झिल्ली से गुजारा जाता है, जो झिल्ली में हवा को संपीडित करके उसे ऑक्सीजन युक्त बनाती है। यह तकनीक उन लोगों को ऑक्सीजन प्रदान करने का एक किफायती तरीका है, जिन्हें पूरक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। "

इस थर्मोमीटर का बड़े पैमाने पर उत्पादन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), पुणे द्वारा किया जा रहा है। बंगलूरू स्थित रीनलैंड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में परीक्षण के लिए ऐसे करीब 100 थर्मोमीटर शुरुआती तौर पर बनाए गए हैं।

एनसीएल और उसके द्वारा तकनीकी रूप से समर्थित एक अन्य स्टार्टअप कंपनी जेनरिच मेम्ब्रेन्स द्वारा विकसित दूसरा उपकरण ऑक्सीजन संवर्धन यूनिट (ओईयू) है। इस यूनिट का उपयोग कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के फेफड़ों के प्रभावित होने पर उन्हें पूरक ऑक्सीजन देने के लिए किया जाता है। ओईयू के उपयोग से सामान्य परिवेश में हवा में ऑक्सीजन का स्तर 38-40 प्रतिशत हो जाता है, जबकि समान्य वातावरण में इसका स्तर 21-22 प्रतिशत होता है।

जेनरिच मेम्ब्रेन्स, एनसीएल में पॉलिमर साइंस ऐंड इंजीनियरिंग डिवीजन के प्रमुख डॉ उल्हास खारुल द्वारा स्थापित एक स्टार्ट-अप उद्यम है। डॉ खारुल ने बताया - “इस यूनिट की मदद से आसपास की हवा को कंप्रेसर के जरिये पॉलिमरिक झिल्ली से गुजारा जाता है, जो झिल्ली में हवा को संपीडित करके उसे ऑक्सीजन युक्त बनाती है। यह तकनीक उन लोगों को ऑक्सीजन प्रदान करने का एक किफायती तरीका है, जिन्हें पूरक ऑक्सीजन की जरूरत होती है।"

इस यूनिट के प्रोटोटाइप तैयार हैं, जिन्हें बंगलूरू स्थित टीयूवी रीनलैंड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। ऐसी दस ओईयू मशीनों को एनसीएल और बीईएल ने मिलकर तैयार किया है। ट्रायल के बाद इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा।
इंडिया साइंस वायर

Latest Tweets @Indiasciencewire