कोरोना वायरस के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने के लिए नयी परियोजना                                                                 

      

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने अपने न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव (एनएमआईटीएलआई) कार्यक्रम के तहत मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के विकास की एक नयी परियोजना को मंजूरी दी है, जो रोगियों में कोरोना वायरस के संक्रमण को बेअसर कर सकती है। इस परियोजना का उद्देश्य एक प्रभावी चिकित्सा रणनीति के जरिये अधिक प्रभावी और विशिष्ट मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करना है।

परियोजना का एक लक्ष्य वायरस के भविष्य के अनुकूलन का अनुमान लगाना भी है। इसके साथ ही, वैज्ञानिक मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी क्लोन तैयार करने का प्रयास भी करेंगे, जो रूपांतरित कोरोना वायरस को बेअसर कर सके। वैज्ञानिकों की इस पहल का लक्ष्य कोरोना वायरस के नये उभरते रूपों से लड़ने के लिए तैयारी करना भी है, ताकि भविष्य में इसके संक्रमण से मुकाबला किया जा सके।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक तरह का प्रोटीन होता है, जिसे प्रयोगशाला में बनाया जाता है। यह रोगी के शरीर में मौजूद दुश्मन कोशिका से जाकर चिपक जाता है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी इम्यूनोथेरेपी का एक रूप है, जिसे किसी बीमारी के प्रति प्रतिरक्षा उत्पन्न करने या प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया जाता है।


मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक तरह का प्रोटीन होता है, जिसे प्रयोगशाला में बनाया जाता है। यह रोगी के शरीर में मौजूद दुश्मन कोशिका से जाकर चिपक जाता है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी इम्यूनोथेरेपी का एक रूप है

अकादमिक संस्थानों और इंडस्ट्री के बीच इस साझेदारी में नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस), पुणे; भारतीय प्रद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर; प्रीडोमिक्स टेक्नोलॉजीज, गुरुग्राम और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल), हैदराबाद शामिल हैं। टीकों और जैव-उपचार के विकास से जुड़ी कंपनी बीबीआईएल इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है। बीबीआईएल परियोजना का वाणिज्यिक साझीदार है, जिसकी जिम्मेदारी मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के विकास और व्यवसायीकरण की भी होगी।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा है कि “नोवेल कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के बारे में अनुसंधान अपने शुरुआती चरण में है, और इस पर हमारी समझ हर दिन विकसित हो रही है। ऐसे में, यह महत्वपूर्ण है कि हमें वायरस से निपटने के लिए सभी संभावित रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है। इसलिए, सीएसआईआर सभी रास्ते तलाश रहा है और हम उन नये विचारों का भी समर्थन कर रहे हैं, जिन पर अमल किया जा सकता है।"

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सीएसआईआर बहुआयामी रणनीति पर काम कर रहा है। एक ओर सीएसआईआर से संबद्ध प्रयोगशालाएं प्रौद्योगिकियों एवं उत्पादों का विकास कर रही हैं, तो दूसरी ओर देश का यह प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान इंडस्ट्री और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ मिलकर भी काम कर रहा है। एनएमआईटीएलआई सीएसआईआर का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य अकादमिक संस्थानों एवं इंडस्ट्री के नये विचारों और परियोजनाओं का समर्थन करना है।
इंडिया साइंस वायर

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