टीआईएफआर ने शुरू की कोविड-19 पर जागरूकता फैलाने की पहल                                                                 

      

चीन से उपजे कोविड-19 के प्रकोप ने अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित यह बीमारी अब दुनिया के 204 देशों में फैल गई है। किसी महामारी के फैलने के साथ-साथ उससे जुड़ी भ्रांतियां, अंधविश्वास और डर भी लोगों के बीच तेजी से फैलने लगता है। कोविड-19 के मामले में एक महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि अलगाव, क्वारांटाइन और लॉक-डाउन जैसे चरम उपायों की समझ कैसे विकसित की जाए! और लोगों को यह कैसे समझाया जाए कि ऐसी स्थिति में एक-दूसरे से दूरी बनाए रखना क्यों जरूरी है?

मिथकों को दूर करने और महामारी से निपटने के लिए अपनाए जा रहे सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी वैज्ञानिक समझ प्रदान करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) ने संचार सामग्री का एक पैकेज पेश किया है। टीएफआईआर के शोधकर्ताओं ने बहु-भाषी संसाधनों (यूट्यूब वीडियो) का एक सेट बनाया है, जिसमें बताया गया है कि कोविड-19 जैसे वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना क्यों आवश्यक है।


टी आई एफ आर द्वारा शुरू की गई इस सार्वजनिक आउटरीच पहल को 'चाय ऐंड व्हाई?' नाम दिया गया है। यह एक ऐसा मंच है, जहां वैज्ञानिक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के साथ संवाद करते हैं और गलत सूचनाओं की वास्तविकता को स्पष्ट करते हैं।

कोविड-19 के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए तैयार की गई यह सामग्री वाशिंगटन पोस्ट में हैरी स्टीवंस द्वारा प्रकाशित मूल सिमुलेशन पर आधारित है। टीआईएफआर द्वारा शुरू की गई इस सार्वजनिक आउटरीच पहल को 'चाय ऐंड व्हाई?' नाम दिया गया है। यह एक ऐसा मंच है, जहां वैज्ञानिक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के साथ संवाद करते हैं और गलत सूचनाओं की वास्तविकता को स्पष्ट करते हैं। इसके साथ-साथ वे वायरस के पीछे के विज्ञान की व्याख्या भी करते हैं।

टीआईएफआर के वैज्ञानिक प्रोफेसर अर्नब भट्टाचार्य ने बताया कि “फैकल्टी, छात्रों और परिवारों के स्वैच्छिक प्रयासों से हमने नौ भाषाओं - अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, कोंकणी, मराठी, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगू में जागरूकता प्रसार की पहल शुरू की है।” जल्द ही यह प्रचार सामग्री गुजराती, पंजाबी, हरियाणवी और असमिया में भी जारी की जाएगी।

इस पहल को शुरू करने का उद्देश्य सही सूचना को प्रसारित करना और विभिन्न मिथकों को दूर करने में मदद करना है। इसके अंतर्गत सूचनाएं कुछ इस तरह से पेश जाती हैं, जिससे उन्हें आसानी से समझा जा सके। डॉ भट्टाचार्य ने कहा, "यह बीमारी विदेशों से उभरी है, लेकिन हमें अपने नागरिकों को इसके बारे में जागरूक करना है, तो स्थानीय भाषा एवं जरूरतों के मुताबिक संचार सामग्री विकसित विकसित करना महत्वपूर्ण हो सकता है।"

इस पहल के अगले चरण में हमारी टीम घरेलू सामग्री द्वारा मास्क बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पोस्टर और वीडियो जल्द ही जारी किए जाएंगे।
इंडिया साइंस वायर

भाषांतरण : उमाशंकर मिश्र

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