नर टिड्डों की तुलना में मादा के शिकार बनने का ख़तरा अधिक                                                                 

      

टिड्डे पर रेडियो ट्रैकिंग टैग

न्सानों की तरह जंतु भी भोजन, आश्रय और जोड़ीदार खोजने के लिए इधर-उधर घूमते हैं। हालाँकि, वन्यक्षेत्र में बेखौफ होकर घूमने-फिरने का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि वहाँ शिकारी जीवों का ख़तरा हर समय बना रहता है।

एक नये अध्ययन में, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज (सीईएस) में प्रोफेसर रोहिणी बालकृष्णन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने यह समझने का प्रयास किया है कि टिड्डों (katydids) का उनके शिकारी - लेसर फॉल्स वैम्पायर चमगादड़ - द्वारा शिकार कैसे किया जाता है।

टिड्डों की गतिविधियों की निगरानी के लिए इन कीटों पर रेडियो ट्रैकिंग टैग लगाए गए और उनकी हलचल को ट्रैक किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि नर टिड्डों की तुलना में मादा टिड्डों के शिकारियों के चंगुल में फँसने का ख़तरा अधिक होता है, क्योंकि वे लगातार उड़ान भरने वाले होते हैं और लंबी यात्रा करते हैं।

लेसर फॉल्स वैम्पायर चमगादड़ दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं, जो अपने शिकार को खाने के लिए अपने बसेरे में लेकर आते हैं। चमगादड़ के आहार के एक बड़े हिस्से में कैटीडिड्स जैसे कीड़े शामिल होते हैं। पूर्व अध्ययनों में, बालाकृष्णन और अन्य शोधकर्ताओं ने पाया कि नर टिड्डों की तुलना में मादा टिड्डों के पंखों के अवशेष बहुत अधिक थे, जिससे यह पता चलता है कि चमगादड़ मादा कैटिडिड्स का शिकार करना अधिक पसंद करते हैं।

सीईएस में पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थी और इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता हरीश प्रकाश बताते हैं कि यह भारत में अपनी तरह का पहला कीट रेडियो ट्रैकिंग अध्ययन है। वह बताते हैं कि शिकारी और शिकार के परस्पर संपर्क पर केंद्रित प्रमुख शोध प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए फील्ड ऑब्जर्वेशन के साथ-साथ इस अध्ययन के दौरान नियंत्रित वातावरण में प्रयोग किए गए हैं।


इन्सानों की तरह जंतु भी भोजन, आश्रय और जोड़ीदार खोजने के लिए इधर-उधर घूमते हैं। हालाँकि, वन्यक्षेत्र में बेखौफ होकर घूमने-फिरने का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि वहाँ शिकारी जीवों का ख़तरा हर समय बना रहता है।

लेसर फॉल्स वैम्पायर चमगादड़


चमगादड़ों का नर टिड्डों की तुलना में मादा कैटिडिड्स टिड्डों का अधिक शिकार करने से जुड़ी जानकारी अप्रत्याशित थी, क्योंकि; नर टिड्डे, जो मादा को आकर्षित करने के लिए उन्हें बुलाकर विशिष्ट दिखने का प्रयास करते हैं, के विपरीत कैटिडिड मादा आमतौर पर चुप रहती है। इसने शोधकर्ताओं को यह पता लगाने के लिए प्रेरित किया कि ऐसा क्या है, जिससे चमगादड़ कैटिडिड मादाओं का शिकार करने के लिए अधिक आकर्षित होते हैं?

एक संभावना यह है कि चमगादड़ मादाओं को अधिक आसानी से पहचान सकते हैं, क्योंकि वे आमतौर पर नर से बड़ी होती हैं। दूसरा, मादा कैटिडिड्स नर की तुलना में अधिक पौष्टिक हो सकती हैं, और इसीलिए चमगादड़ों द्वारा पसंद की जाती हैं। इन संभावनाओं का परीक्षण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने टिड्डों के एक समूह पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे "व्हिस्लर" कहा जाता है, जिसमें नर टिड्डों की तुलना में मादा का आकार और वजन लगभग दोगुना होता है।

शोधकर्ताओं ने एक बड़े आउटडोर पिंजरे में स्वतंत्र रूप से उड़ने वाली व्हिस्लर मादाओं के साथ-साथ नर टिड्डों को चमगादड़ों के समक्ष प्रस्तुत किया। आश्चर्यजनक रूप से, चमगादड़ समान आवृत्ति के साथ नर और मादा दोनों के पास पहुँचे। वास्तव में, इस प्रायोगिक सेटअप में, नर कीटों की तुलना में मादा अधिक बार शिकारी चमगादड़ का शिकार बनने से बच निकलीं। इसलिए, शोधकर्ताओं का कहना है कि मादा टिड्डों के आकार या फिर पोषक मूल्य को उनके शिकार बनने के जोखिम को बढ़ाने वाला कारक माना जाना सही नहीं होगा।

फिर शोधकर्ताओं ने तीसरी संभावना पर की पड़ताल की, जिसमें मादा कीटों के बाहर अधिक उड़ने की पड़ताल की बात निहित थी। शोधकर्ताओं ने छोटे रेडियो ट्रांसमीटरों को नर और मादा कैटिडिड्स की पीठ पर चिपका दिया और उन्हें पेड़ों पर उड़ते हुए ट्रैक किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि मादा कीट नर कीटों की तुलना में 1.5 गुना अधिक और 1.8 गुना ज्यादा आगे बढ़ती हैं। इसने उन्हें यह निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित किया कि अधिक बार उड़ान भरने और पेड़ों के बीच लंबी दूरी की यात्रा करने से मादाओं को नर की तुलना में चमगादड़ों द्वारा शिकार किए जाने का अधिक खतरा हो सकता है।

सीईएस में पीएचडी शोधार्थी और इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता कस्तूरी साहा इन कीटों के लगातार लंबी उड़ानों के संभावित कारण के बारे में कहते हैं –"इसके पीछे मादा कीटों का अपने जोड़ीदार की खोज के साथ-साथ अंडे देने के लिए उपयुक्त जगहों की तलाश एक कारण हो सकता है।"

बालाकृष्णन कहते हैं, "जिन प्रणालियों में नर विशिष्ट ध्वनिक संकेत उत्पन्न करते हैं और मादा चुपचाप चलती हैं, वहाँ यह माना जाता है कि मादा के बजाय पुरुष उच्च जोख़िम वाले व्यवहार करते हैं।" हालाँकि, जोख़िम लेने वाले नर और जोख़िम से बचने वाली मादा के इस दृष्टिकोण के विपरीत, वर्तमान अध्ययन से पता चलता है कि मादा कैटिडिड्स के शिकार बनने का अधिक ख़तरा हो सकता है।

शिकारी और शिकार के परस्पर संपर्क के बारे में अभी भी कई अनुत्तरित प्रश्न हैं। उदाहरण के लिए, साहा बताते हैं कि गैर-प्रजनन वाले मौसम में चमगादड़ अधिक मादा कैटिडिड्स का शिकार करते हैं। "यह एक और रहस्य है, जिसे हम सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।"

यह अध्ययन शोध पत्रिका बिहेवियरल इकोलॉजी ऐंड सोशियोबायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/IISc/predation-risk/HIN/06/04/2023