स्वच्छ पर्यावरण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार                                                                 

चरा प्रबंधन, दूषित जल शोधन, प्रदूषण नियंत्रण, हरित और सौर ऊर्जा के उपयोग समेत विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आधारित कुछ ऐसे प्रयोग हैं, जो स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चत करने में मददगार हो सकते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी में इसी तरह के प्रयोगों पर आधारित तकनीकी एवं वैज्ञानिक नवाचारों को दर्शाया गया है।

इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 7 मई को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने किया। नई दिल्ली के टेक्नोलॉजी भवन में लगी इस प्रदर्शनी का बृहस्पतिवार को अंतिम दिन था। इस प्रदर्शनी को देखने लिए हर रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे थे, जिनमें स्कूली बच्चों की संख्या सबसे अधिक थी। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत चल रहे स्वच्छता पखवाड़े के दौरान पर्यावरण की स्वच्छता में योगदान देने वाली प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शनी में पोस्टर्स और मॉडल्स के जरिये प्रदर्शित किया गया।

एक टन कचरे से 70 किलोग्राम एलपीजी के बराबर बायोगैस उत्पन्न करने वाला संयंत्र ‘बायोऊर्जा’, जलस्रोतों से काई और जलकुंभी के निस्तारण के लिए बनायी गई मशीन, कचरे को इकट्ठा करने और फेंकने के लिए मोबाइल डिवाइस, डबल डोर डस्टबिन, राख से ईंट बनाने की मशीन, बायो-टॉयलेट, जलशोधन के लिए अवायवीय दानेदार गाद जैसे पदार्थ का उपयोग, ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए ‘राइनोडाइजेस्टर’ और स्वच्छता से जुड़े यंत्रों के संचालन के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग से जुड़े दर्जनों मॉडल और पोस्टर प्रदर्शनी में दर्शाए गए थे।

"विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से पर्यावरण को सुरक्षित एवं स्वच्छ बनाए रखने वाली शोध परियोजनाओं को अनुदान मुहैया कराया जा रहा है। प्रदर्शनी में डीएसटी के सहयोग से विकसित ऐसी प्रौद्योगियों को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया गया है, जो पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में मददगार हो सकती हैं। "

प्रोफेसर शर्मा के अनुसार, “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से पर्यावरण को सुरक्षित एवं स्वच्छ बनाए रखने वाली शोध परियोजनाओं को अनुदान मुहैया कराया जा रहा है। प्रदर्शनी में डीएसटी के सहयोग से विकसित ऐसी प्रौद्योगियों को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया गया है, जो पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में मददगार हो सकती हैं।”

इस आयोजन की नोडल एजेंसी राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान से जुड़े तुषार गर्ग ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “प्रदर्शनी में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक्नलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बाइरेक), टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन, फोरकास्टिंग असेस्मेंट काउंसिल (टाइफेक), टेक्नोलॉजी मिशन्स डिविजन, साइंस फॉर इक्विटी, एंप्लॉयमेंट (सीड), विज्ञान प्रसार, इंडो-यूएस साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी फोरम और नेशनल आन्ट्रप्रनर्शिप बोर्ड के अलावा कई गैर सरकारी संस्थाएं भी शामिल थीं।”

इस महीने की 15 तारीख तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े के दौरान नवाचारी स्कूली बच्चों के बनाए स्वच्छता को सुनिश्चत करने वाले मॉडल्स और प्रोटोटाइप 14 मई को टेक्नोलॉजी भवन में प्रदर्शित किए जाएंगे। स्वच्छता पखवाड़े के दौरान स्वच्छ पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों की परिचर्चा भी आयोजित की गई थी। इस परिचर्चा में डीएसटी के पूर्व सचिवों समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक और शोधार्थी शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)